Walnut Farming जानिए अखरोट की जानकरी और साथ ही जाने अखरोट की किस्मे ,और खेती की विधि
Walnut Farming : ड्राई फ्रूट्स की बात हो और अखरोट की बात ना हो भला ऐसा कैसे हो सकता है|त्योहारों में मिलने वाले ड्राई फ्रूट्स के उन डब्बों में अखरोट की मौजूदगी हमेशा से ही रहती है। चाहे दिवाली हो, क्रिसमिस हो या शादी का समय हो अखरोट हर जगह देखा जा सकता है|इसके बिना कोई भी त्योहार अधूरा सा लगता है। आप अगर पूजा पाठ के प्रसाद में देखें तो भी इसकी मौजूदगी नज़र आ जाएगी क्यों की ड्राई फ्रूट्स में इसकी उपयोगिता मुख्य होती है।
कहते हैं की इस सुन्दर फल की खोज इरान में की गयी थी बाद में इसे विश्व के अन्य देशों में भी उगाया गया जिसमें इटली ,स्पेन, फ्रान्स, जर्मनी सभी देशों ने इस सुन्दर फल को खाने के साथ साथ उधोग के रूप में भी उगाया जाने लगा।
अखरोट की खेती -भारत में कहाँ होती है खेती
भारत में इसकी खेती हिमचल प्रदेश, उत्तराखंड, कश्मीर के कुपवाड़ा, उड़ी, द्रास और पुंछ आदि बर्फीली घाटियों और अरूणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में की जाती है| इससे ना सिर्फ भारत में ही बल्कि विश्व के अलग अलग देशों में बड़े पैमाने की जाती है|
प्रति 100 ग्राम अखरोट में मिलने वाले तत्व
कैलोरी फैट पोटेशियम कार्बोहाइड्रेट्स फाइबर प्रोटीन शुगर
280 gram 35 gram 225 mili gram 5 mili gram 4 gram 9 gram 2 gram
अखरोट के फायदे
वैसे तो अखरोट खाने से अनेक फायदे हैं पर हम यहाँ कुछ अहम् की बात कर लेते हैं जो निम्न हैं
1.यादाश्त दुरुस्त बनाए : अगर आपको भूल जाने की बीमारी है या आपकी यादाश्त कमजोर हो गई है तो आपको रोजाना इसका सेवन करना चाहिए|अखरोट दिमाग को दुरुस्त बनाने में मददगार साबित होता है|
2.कैंसर से रोकथाम : दिखने में छोटा लगने वाला ये फल बहुत ही उपयोगी साबित होता है क्यूँकि इससे आप कैंसर जैसी भयानक बीमारी से बच भी सकते है|
3.पथरी को दूर करे : शोधकर्ताओं के अनुसार पथरी जैसी बिमारियों पर भी ये असरदार साबित होता है|अगर आप नितदिन इसका सेवन करें तो इससे आपको इस बीमारी से लाभ मिलता है|
4 .ब्रेस्ट कैंसर पर उपयोगी : ब्रेस्ट कैंसर को दूर करने में भी इसकी बहुत उपयोगिता साबित होती है|आप इसके नितदिन उपयोग से इस बीमारी से बच भी सकते हैं|
5 .गर्भवती महिलाओं को लाभ : इसके रोजना सेवन से होने वाले बच्चे को बहुत लाभ मिलता है| अखरोट में Vitamin B Complex होता है,इसलिए जो महिलाये माँ बनने वाली होती है,उनके लिए अखरोट खाना बहुत फायदेमंद है और माँ को भी पूर्ण रूप से प्रोटीन मिलता रहता है।
अखरोट की किस्में
अखरोट मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है जंगली अखरोट और कृषिजन्य अखरोट है :
1.जंगली अखरोट : इस पेड़ की सामन्य ऊंचाई लगभग 100 से 200 फुट तक होती है|
2 .कृषिजन्य अखरोट : इसके पेड़ की सामन्य ऊंचाई लगभग 40 से 90 फुट तक होती है|
खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
अखरोट समुद्र तल से करीब 1100 से 2200 मीटर की उंचाई पर लगने वाले अखरोट का फल बहार से एक हरे आवरण में लिपटा हुआ किसी गोल आकार की कैरी की तरह नजर आता है|
अखरोट को फलने फूलने के लिए मौसम का तापमान 10 डिग्री सेंटीग्रेट से नीचे होना चाहिए।
जैसे ही इसका तापमान 2 से 4 सेंटीग्रेट तक बढ़ता है,वैसे ही फल की ऊपरी परत सूखने लगती है और ये फल तैयार हो जाता है|
जैसे ही अखरोट के पोधे को ग्राफ्टिंग सेतेयार होने के बाद हम सभी जानते है की शीतोष्ण कटिबंधी पोधो की रोपाई का काम ठण्ड के मौसम में यानि की जनवरी में की जाती है|
अखरोट की खेती के लिए 1 मीटर लम्बा, 1 मीटर चोडा और 1 मीटर गहरा गड्डे खोद कर उसमे अखरोट के पोधे को लगाते है|
खेती के लिए भूमि को किस प्रकार तैयार करें
आप जहाँ भी इसकी खेती करना चाहते हैं वहां की मिटटी की जांच अवश्य करा लें नहीं तो बाद में दिक्कत आ सकती है|जांच करने के बाद आप मिटटी में गड्डे खोद लें जब गड्डे की मिटटी बाहर आ जाये तब उसमें खाद (नत्रजन की 50 से 60 gm, फास्फोट की 40 से 45 gm और पोटाश की 35 से 40 gm मात्रा को 10 gm.गोबर) में मिला दें बाद में उस्सी मिटटी को अंडर दाल दें|
खाद का प्रयोग तब करें जब तक पेड़ फल देने योग्य नहीं हो जाता है|इसके बाद आप खाद का प्रयोग रोक सकते हैं|पर्वतीय क्षेत्र में अखरोट बहुतायत में होता है। अन्य फल की तुलना में ये एक लंबे समय तक (करीब 200 साल) इसकी खेती फायदा पहुंचाती है वर्तमान में अखरोट की वैज्ञानिक पद्धति से खेती कर अच्छी पैदावार लेने का अब हमारे पास पहले से अच्छा मौका है।
पोधे लगाने की विधि
पोधे रोपण करने की सही विधि में हमें पौधे की टहनियों को काटकर करीब 3 से 4 इंच तक कर लेनी है इसके बाद पानी का सही छिडकाव करके उसके खोदे गए गड्डे पर रोप दें।
1.सिंचाई किस प्रकार से करें : सिंचाई करने के लिए हमें सबसे पहले पोधे के आसपास ढलान बना दें ताकि पानी रुक न सके उसके बाद पोधे को बड़ा होने तक हमें उसकी सिंचाई करनी चाहिए|याद रहे की बरसात के दिनों में सिंचाई नहीं करनी है|
2 .खरपतवार पर नियंत्रण : सबसे अहम् है की आप पोधे को बड़ा होने तक उसमें खरपतवार न पैदा होने दें इससे पौधा खराब हो सकता है|हर दस दिनों के अंतराल में हमें इसमें खरपतवार से रोकथाम करनी है।
3 .फलों का एकत्रीकरन : पेड़ जब फल देने लायक हो जायेगा तब आपको एक दिन का समय लगाकर फलों को तोड़कर एक जगह एकत्री करन कर लें बाद में उसे अपने अनुसार जहाँ चाहे रख सकते हैं|फल की तुड़ाई करने से पहले याद रखें की तुड़ाई इस प्रकार से करनी चाहिए की तुड़ाई करने के बाद पेड़ को किसी तरह से नुक्सान ना हो सके क्यों की बाद में भी उस पेड़ से फलों को तोडा जा सके|
माल किसे और कहाँ बेचें
अखरोट को बेचने के लिए आपको जादा दिक्कत नहीं होगी क्यों की ये एक अधिक मांग वाला फल है| ये भारत के आलावा विदेशों में भी निर्यात किया जाता है| आप चाहें तो इसे मंडी जाकर बेच सकते हैं या आप चाहें तो रिटेल में खुद की पैकिंग देकर भी बेच सकते है|बेबाक किसान के माध्यम से हमारी बात पुरानी दिल्ली स्थित खारी बावली के एक व्यापारी से हुई|
बातचीत के बाद पता चला की यहाँ कई व्यपारी ऐसे हैं जो इसकी खेती का खर्चा भी अपने किसानों को देते हैं यहाँ तक की ये लोग अखरोट व अन्य ड्राई फ्रूट्स की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग भी कराते हैं|साथ ही उन्होंने बेबाक किसान को ये तक बोला की इसकी मांग अधिक होने के कारण कई बार त्य्हारों के समय पर 2 महीने पहले भी एडवांस देकर माल पूरा नहीं मिल पाता हैं|
ऑनलाइन भी आप इसे अपनी पैकिंग देकर बेच सकते हैं जिससे की आपको अधिक लाभ भी मिलेगा|आप ऑनलाइन के माध्यम से फ्लिप्कार्ट, अमेज़न, बिगबास्केट, इंडिया मार्ट जैसी कम्पनी के साथ अपना माल सीधे बेच सकते हैं|
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