मध्यप्रदेश में ‘द ममी रिटर्न’… लड़की की लाश, 210 हड्डियां लेकिन 9 साल बाद वो वापस लौट आई!

पिता और भाई ने मिलकर किया उस लड़की का मर्डर। लाश को गांव में ही आम के पेड़ के नीचे गड्डे में गाड़ दिया। लेकिन अब वो लड़की 9 साल बाद वापस अपने गांव लौट आई है। मध्यप्रदेश का एक दिल दहला देने वाला मामला। ये मर्डर की पहेली काफी उलझी हुई है।

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मध्यप्रदेश में ‘द ममी रिटर्न’… लड़की की लाश, 210 हड्डियां लेकिन 9 साल बाद वो वापस लौट आई!

भाई जेल में बंद, पिता जमानत पर बाहर… गांववालों ने 2 साल पहले जिसकी लाश देखी, जिसका मर्डर खुद उसके भाई और पिता ने किया जब वो लड़की 9 साल बाद अचानक वापस गांव में लौटी तो हर किसी के होश उड़ गए। ये कैसे हो सकता है? भाई ने खुद कबूल किया था कि उसने एक लकड़ी से बहन के सिर पर वार किया जिसके बाद उसकी मौत हो गई। पिता ने खुद माना कि उन्होंने अपनी बेटी को कत्ल के बाद गांव के ही एक आम के पेड़ के नीचे गाड़ दिया। फिर कैसे वो मरी हुई लड़की 9 साल बाद जिंदा लौट आई। और हां लड़की की 210 हड्डियां मिलने की बात तो खुद पुलिस ने बयां की थी जिसके बाद ही भाई और पिता को सजा हुई थी

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9 साल बाद मरी हुई लड़की कैसे जिंदा लौटी?

इस कहानी की शुरूआत 2014 से होती है। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के जोनपाल गांव की रहने वाली कंचन नाम की 14 साल की एक ट्राइबल लड़की के घर से गायब होने की रिपोर्ट दर्ज करवाई जाती है। परिवारवाले थाने आकर बेटी के गायब होने की बात बताते हैं। पुलिस जांच करती है, लेकिन लड़की का कोई पता नहीं चल पाता। गरीब परिवार से होने की वजह से पुलिस केस को ज्यादा तवज्जो नहीं देती और थोड़े समय बाद केस ठंडे बस्ते में चला जाता है।

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ऑपरेशन मुस्कान के तहत शुरू हुई कंचन केस की जांच

मध्यप्रदेश में साल 2021 में सरकार ऑपरेशन मुस्कान शुरू करती है। ये उन लड़कियों को खोजने का सरकार की एक कोशिश थी जो घरों से गायब हो गईं थी। यहां तक कि इसे सरकार ने बेहद सफल ऑपरेशन बताया था। प्रशासन का दावा था कि इस ऑपरेशन के तहत 2444 गुमशुदा लड़िकयों को उनके परिवार से मिलाया गया है। खैर हम सरकार और प्रशासन के दावों पर नहीं जाते वापस कंचन के केस पर आते हैं। ऑपरेश मुस्कान शुरू होता है तो पुलिस को करीब 6 साल बाद कंचन के केस की भी याद आती है। कंचन का केस फिर से खंगाला जाता है, लेकिन पुलिस को कंचन नहीं मिलती है। हां कंचन की लाश जरूर मिलती है।

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कंचन के परिवार ने कहा- ‘हमने बेटी को मार डाला’

पुलिस को तफ्तीश के दौरान पता चलता है कि कंचन के परिवारवालों ने ही कंचन का कत्ल कर दिया। पुलिस पिता सन्नू उकई और भाई सनी के खिलाफ केस दर्ज करती है। हिरासत में लेकर कंचन के परिवार से पूछताछ की जाती है और उनके बयान दर्ज होते हैं। कंचन का भाई बताता है कि कंचन का उसके गांव में ही रहने वाला एक शख्स रामस्वरूप से अफेयर चल रहा था। पिता और उसने बहन को समझाने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं मानी और फिर एक रात उसने गुस्से में एक छड़ी से उसके सिर पर वार कर दिया। जिसके बाद उसके सिर से खून बहने लगा और फिर उसकी मौत हो गई। कंचन की हत्या के बाद उसने ये बात अपने पिता को बताई और फिर उन्होंने कंचन के कपड़े हटा के एक चादर में उसके शरीर को लपेटा और उसी रात वो उसकी डेड बॉडी को कंधे में रखकर खेत में आम के पेड़ नीचे गाड़ आया।

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पिता और भाई को मिली कंचन के कत्ल की सजा

पुलिस कंचन के भाई के बयान के बाद उसी आम के पेड़ के नीचे खुदाई करती है तो वहां एक कंकाल बराम होता है। पुलिस लाश को उसके घर ले जाती है। मां अपनी लाश के हाथ में बड़ी चूड़ियों की मदद से बेटी की शिनाख्त करती है। वो रोने लगती है और पुलिस को बताती है कि लाश उसकी बेटी की है। गांववाले भी हैरान रह जाते जब उन्हें पता चलता है कि कंचन के पिता और भाई ने इतना बड़ा अपराध किया है। पुलिस केस को सुलझाने का दावा करती है। ऑपरेशन मुस्कान के तहत मिली 2444 केस में से एक केस ये भी था। पुलिस के मुताबिक इस केस में वो लड़की को तो उसके परिवार से नहीं मिला पाते, लेकिन लड़की के कत्ल के आरोप में पिता और भाई को सजा जरूर दिला देते हैं

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9 साल बाद अचनाक गांव लौट आती है कंचन

20121 की बात वहीं खत्म हो जाती है, लेकिन पिछले हफ्ते कंचन अचानक गांव में लौट आती है। हर कोई सन्न कंचन को देखता है। चौदह साल की कंचन अब 23 साल की है। किसी को यकीन नहीं होता, लेकिन वो कंचन ही थी। कंचन के पिता सन्नु जो बेल पर जेल से बाहर हैं वो भी कंचन को देखकर दंग रह जाते हैं। हर कोई जानना चाहता है मामला क्या है। अब बारी थी एक ऐसी कड़वी हकीकत के सामने आने की जिसे सुनकर कोई भी परेशान हो जाए।

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कंचन बताती है कि उसके 2 बच्चे भी हैं

कंचन साल 2014 में गांव के किसी लड़के के साथ भाग गई थी। पिता की शराब पीकर मारपीट करने की आदत से वो परेशान थी और इसलिए उसने घर छोड़ने का फैसला किया। वो अगर मालवा नाम के एक इलाके में रहने लगी और उसने अपना नाम कंचन से बदलकर कृष्णा कर लिया। कंचन जिसके साथ भागी थी उससे बाद में अलग हो गई और किसी दूसरे लड़के से शादी कर ली और अपनी जिंदगी जीने लगी। वहां कंचन के दो बच्चे भी हुए। वो अपने परिवार के साथ खुश थी और वापस कभी अपने माता-पिता के पास नहीं लौटना चाहती थी।

किसकी थी वो लाश जिसे कंचन की बताया गया?

कुछ दिन पहले अचानक कंचन को अगर मलवा में उसके गांव का एक आदमी टकरा गया और उसने कंचन को पहचान लिया। कंचन को उसी शख्स से पता चला कि उसके पिता और भाई उसके कत्ल के आरोप में सजा काट रहे हैं। बस ये सुनने के बाद कंचन वापस गांव लौट आई। अब सवाल ये था कि अगर पिता सन्नु उकई और भाई सनी ने कंचन का कत्ल नहीं किया था तो उन्होंने झूठे बयान क्यों दिए। क्यों उन्होंने कत्ल किए बिना ही सजा काटना मंजूर किया? किसकी थी वो लाश जिसे पुलिस ने कंचन की बताया।

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लाश में कहां से आई 210 हड्डिया?

दरअसल ऑपरेशन मुस्कान के तहत पुलिस हर लड़की के केस को सुलझाना चाह रही थी ताकि आंकड़े उनकी कामयाबी की कहानी बयां करें। पुलिस ने जानबूझकर परिवारवालों पर कंचन के कत्ल की कहानी गढ़ने का दबाव बनाया। उन्हें टॉर्चर किया गया और कबूल करने के लिए कहा गया कि अपनी बेटी को उन्होंने ही मार दिया है। जो लाश के कंकाल पुलिस शिनाख्त के वक्त लेकर आई वो दरअसल कंचन की किसी रिश्तेदार के थे जिसकी मौत कुछ समय पहले ही हुई थी जिसे वहीं पास में गाड़ा गया था। दरअसल ट्राइबल्स में मरने के बाद गाड़ दिया जाता है और इसलिए कंचन के परिवारवालों की कई लाशें वहीं खेत में गाड़ी गई थी जिनमें से एक लाश को पुलिस ने कंचन की लाश साबित कर दिया। यहां तक कि हड्डिया भी गिन ली गई 210, जबकि इंसान के शरीर में सिर्फ 206 ही हड्डिया होती हैं।

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एक बार फिर शुरू हुई केस की जांच

करीब दो साल से कंचन का भाई उस अपराध की सजा को काट रहा है जिसे उसने किया ही नहीं। मां ने भी अपनी बेटी की लाश की शिनाख्त के नाम पर हामी भर दी थी, वजह थी पुलिस का टॉर्चर। परिवारवालों का कहना है कि उनके पास पुलिस की बात को मानने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। अगर वो ऐसा न करते तो उन्हें टॉर्चर किया जाता। खैर अब जब पुलिस की इतनी बडी साजिश की कहानी सामने आई है तो जांच शुरू हो चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस केस को साल 2021 में संतोष देहेरिया नाम के पुलिस अधिकारी ने सुलझाने का दावा किया था जो अब जबलपुर में एनीशनल सुपरीटेंडेंट ऑफ पुलिस के पद पर तैनात हैं।

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