मध्य प्रदेश के इन इलाकों में बना रहता है भूकंप का खतरा

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तुर्किए में तबाही मचाने वाले भूकंप ने एक बार फिर इस भूगर्भीय हलचल की ताकत और इसके भयावह नतीजों को सामने ला दिया है। देश को चार भूकंप संवेदी जोन में बांटा गया है। इस मामले में प्रदेश की स्थिति अनूठी है। भूकंप संवेदनशीलता के लिहाज से देश के अलग-अलग हिस्सों को बांटने वाली सिस्मो जोन की लाइन प्रदेश के बीचोंबीच से गुजरती है। दरअसल दोनों लाइनों के बीच की पट्टिका नर्मदा घाटी के साथ-साथ चलती है। ऐसे में नर्मदा नदी के दोनों ओर के जिलों सहित सतपुड़ा, विंध्याचल पर्वतमालाओं के नजदीक के हिस्से अधिक भूकंप संवेदी जोन थ्री में स्थित हैं, वहीं प्रदेश के बाकी जिले सबसे कम संवेदनशील क्षेत्र जोन टू में आते हैं भारत को भूकंप के खतरे अर्थात संवेदनशीलता के आधार पर चार हिस्सों या सिस्मो जोन में बांटा गया है। पहले जोन टू है, जो सबसे कम सक्रिय हिस्से में आता है जो कम संवेदनशील है। इसके बाद जोन थ्री है जो मध्यम संवेदनशील हिस्‍सा माना जाता है, जहां अपेक्षाकृत भूकंप का खतरा थोड़ा ज्यादा है, वहीं जोन फोर में अधिक सक्रिय या संवेदनशील इलाके आते हैं जहां खतरा है और जोन फाइव में अत्यधिक सक्रिय हिस्से आते हैं।भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, अशोकनगर,आगर मालवा, उज्जैन, उमरिया, कटनी, ग्वालियर, गुना, श्योपुर, निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपुर, डिंडोरी, नरसिंहपुर, शिवपुरी, भिंड, बुरहानपुर, मुरैना, पन्ना, सीधी, बड़वानी, रीवा, रतलाम, सागर, देवास, शाजापुर, नीमच, दतिया, मंदसौर, छिंदवाड़ा, बैतूल, राजगढ़, बालाघाट, विदिशा, धार, रायसेन, दमोह।

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